उसके दिल में मैं नहीं 'बेघर' ये मेरे दिल को पता क्यूँ है ? उसके दिल में मैं नहीं 'बेघर' ये मेरे दिल को पता क्यूँ है ?
देखो 'बेघर' क्या है बात सब को पता, फिर भी महफिल में कुछ ना कहा कीजिए। देखो 'बेघर' क्या है बात सब को पता, फिर भी महफिल में कुछ ना कहा कीजिए।
क्या सितम है इस दिल को लगा के 'बेघर' और फिर दिल का आधार तोड़ा हम ने। क्या सितम है इस दिल को लगा के 'बेघर' और फिर दिल का आधार तोड़ा हम ने।
जलाए कौन मेरे दिल 'का' आशियां 'बेघर', 'जो' दिलवाले 'हैं' उनके भू 'पे' घर नहीं होते। जलाए कौन मेरे दिल 'का' आशियां 'बेघर', 'जो' दिलवाले 'हैं' उनके भू 'पे' घर नही...
रिश्तों से धीरे धीरे उठने लगा भरोसा, क्यों लोग हर क़दम पर खाते हैं झूठी क़समें रिश्तों से धीरे धीरे उठने लगा भरोसा, क्यों लोग हर क़दम पर खाते हैं झूठी क़समें
नमस्कार, मित्रों प्रस्तुत है मेरी गज़ल, पढ़ें व प्रतिक्रिया से अवगत करायें। धन्यवाद ! नमस्कार, मित्रों प्रस्तुत है मेरी गज़ल, पढ़ें व प्रतिक्रिया से अवगत करायें। धन्य...